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वर्तमान समय में अंग्रेजी भाषा का उपयोग ज्यादा किया जाता है परंतु हिंदी जो हमारी मातृभाषा है इसका सही ज्ञान होना भी अत्यंत आवश्यक है। हिंदी बोलचाल में प्रयोग की जाने वाली हमारी अपनी भाषा है जिसके सही ज्ञान के लिए हिंदी व्याकरण की जानकारी होना जरूरी हो जाता है। हिंदी व्याकरण भी हिंदी भाषा के लिए जरूरी और आधार होता है। जो भाषा को शुद्ध तरीके से पढ़ने और लिखने के लिए उसका सहायक होता है। क्रिया हिंदी व्याकरण का एक जरूरी भाग है अंग्रेजी में इसे verb के नाम से जाना जाता है। हिंदी व्याकरण में कई सारे ऐसे विषय हैं जिनके बारे में छोटी कक्षा से लेकर बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे- वर्ण, शब्द, वाक्य, संज्ञा, सर्वनाम, अव्यय ,क्रिया ,क्रिया विशेषण,समास,पद परिचय आधारित प्रश्न I इसके बिना हिंदी व्याकरण को समझना कठिन हो सकता है। इस ब्लॉग में क्रिया की परिभाषा भेद को विस्तार से सरल शब्दों में समझाया गया है I इसके साथ ही kriya in Hindi की आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्न का अभ्यास भी पाठ के नीचे दिए गए लिंक से कर सकते हैं ।
क्रिया (kriya in hindi) की परिभाषा
क्रिया वैसे शब्द होते हैं जो किसी वाक्य में कार्य के होने या करने अथवा किसी व्यक्ति या वस्तु की स्थिति का बोध कराते हैं। क्रिया का शाब्दिक अर्थ होता है कार्य करना।
संज्ञा या सर्वनाम द्वारा सम्पादित कार्य क्रिया कहलाता है।
यह भी व्याकरण का एक विकारी शब्द माना जाता हैं। इसका रूप लिंग और वचन के पुरुष के कारण से बदलते हैं।
क्रिया के उदाहरण (Kriya Ke Udahran)
- माँ पिता जी को समझा रही हैं ।
- कार चल रही है ।
- सोहन विद्यार्थियों को पढ़ा रहा है ।
- महेश पत्र लिखता है।
- राम ही सदा लिखता है।
- अध्यापक छात्रों को पाठ पढ़ा रहा था।
- राम ने कृष्ण को पत्र लिखा।
- मोहन पढ़ रहा है।
- अंशु क्रिकेट खेल रहा है।
- महेश खेल रहा है।
- राम पुस्तक पढ़ रहा है।
संस्कृत में क्रिया रूप को धातु कहते हैं। हिंदी में इन धातुओं के साथ 'ना' लगता है।
क्रिया शब्द के उदाहरण (kriya Shabd Ke Udaharan )
• खेलना
• आना
• जाना
• कूदना
• नाचना
• पीना
• चलना
• नहाना
क्रिया के भेद (Kriya Ke Bhed)
हिंदी भाषा में क्रिया का वर्गीकरण तीन आधार पर किया गया है-
- कर्म के आधार पर
- प्रयोग एवं संरचना के आधार पर
- काल के आधार पर
कर्म के आधार से क्रिया दो प्रकार के होता है।
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
प्रयोग एवं संरचना के आधार से क्रिया दो प्रकार के होता है।
- संयुक्त क्रिया
- नामधातु क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया
काल के आधार से क्रिया दो प्रकार के होता है।
- भूतकालिक क्रिया
- वर्तमान कालिक क्रिया
- भविष्यत् कालिक क्रिया
कर्म के आधार से क्रिया दो प्रकार के होता है।
1. सकर्मक क्रिया
जिस क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
अन्य शब्दों में कहे तो , जिस क्रिया के व्यापार का संचालन कर्ता से होता है और क्रिया का फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु, अर्थात कर्म पर पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते है. जैसे
अंशु आम खाता है। इस वाक्य “अंशु” कर्ता है। प्रश्न होता है, अंशु क्या खाता है? उत्तर है, ‘आम’। इस तरह ‘आम’ का सीधा ‘खाने’ से संबंध है।जो वाक्य में कर्म के रूप में है ।
अतः ‘आम’ कर्मकारक है। यहाँ अंशु के खाने का फल ‘आम’ पर, अर्थात कर्म पर पड़ता है। इसलिए, ‘खाना’ क्रिया सकर्मक है।
जिस वाक्य की बनावट कर्ता+ कर्म+ क्रिया के रूप में होता है ,उस वाक्य की क्रिया को सकर्मक क्रिया कहा जाता है, अर्थात कर्म के साथ जु़ड़ी हुईं क्रिया सकर्मक क्रिया मानी जाती है।
कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है ,जैसे-
वह गाता है।
राम पढ़ता है।
यहाँ ‘गीत’ और ‘पुस्तक’ जैसे कर्म छिपे हैं।
सकर्मक क्रिया भी के भेद :
• एककर्मक क्रिया : वैसे क्रिया जिसमे एक ही कर्म हो तो वह एककर्मक क्रिया कहलाती है।
जैसे: अनय गाडी चलाता है। इसमें चलाता(क्रिया) का गाडी(कर्म) एक ही है। अतः यह एककर्मक क्रिया के अंतर्गत आएगा।
• द्विकर्मक क्रिया : वैसे क्रिया जिसमे दो कर्म होते हैं वह द्विकर्मक क्रिया कहलाती है। पहला कर्म सजीव होता है एवं दूसरा कर्म निर्जीव होता है।
जैसे: मोहन ने राधा को रूपये दिए। ऊपर दिए गए उदाहरण में देना क्रिया के दो कर्म है राधा एवं रूपये। अतः यह द्विकर्मक क्रिया के अंतर्गत आएगा।
2. अकर्मक क्रिया
“वैसे क्रिया, जो अपने साथ कर्म नहीं लाये अर्थात् जिस क्रिया का फल या व्यापार कर्ता पर ही पड़े, वह अकर्मक क्रिया कहलाती है।”
जैसे- उल्लू दिनभर सोता है।
अर्थात जिन क्रियाओं का फल और व्यापर कर्ता कोहो प्राप्त होता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
अकर्मक क्रिया के उदाहरण :
• मोहन दौड़ता है।
• सांप रेंगता है।
• दीपा हंसती है।
• गोलू चिल्लाता है।
• अक्षय लजाता है।
उपरोक्त उदाहरणों में देख सकते हैं कि दौड़ता हैं, रेंगता है, हंसती है, चिल्लाता है, आदि वाक्यों में कर्म का अभाव है एवं क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ रहा है। अतः यह सारे उदाहरण अकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे।
संरचना के आधार पर क्रिया के.भेद
संरचना के आधार पर क्रिया के चार भेद होते हैं ।
• संयुक्त क्रिया
• नामधातु क्रिया
• प्रेरणार्थक क्रिया
• पूर्वकालिक क्रिया।
संयुक्त क्रिया –
जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ आपस में मिलकर किसी एक पूर्ण क्रिया का बोध कराती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं; जैसे-बच्चे दिनभर खेलते रहते हैं। वाक्य में खेलते और रहते हैं। दोनों क्रिया है।
नामधातु क्रिया –
ऐसी क्रिया जो किसी धातु से न बनकर, संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण आदि शब्दों से बनती है, उस क्रिया को नामधातु क्रिया कहते हैं; जैसे-बात से बतियाना, अपना से अपनाना, नरम से नरमाना।
उदाहरण में- मेरे परिवार वाले अनाथ बच्ची को अपनाना चाहते हैं। इस वाक्य में अपनाना नामधातु क्रिया का उदाहरण है । जो अपना सर्वनाम से बनी क्रिया है।
प्रेरणार्थक क्रिया –
जिस क्रिया को कर्ता स्वयं कार्य को न करके दूसरों को करने की प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया वाले वाक्य में दो कर्ता होते हैं।
• प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला, जैसे–मालिक, अध्यापिका आदि।
• प्रेरित कर्ता-प्रेरित होने वाला अर्थात जिसे प्रेरणा दी जा रही है; जैसे–नौकर, छात्र आदि।
पूर्वकालिक क्रिया –
वैसे वाक्य, जहाँ मुख्य क्रिया से पहले यदि कोई क्रिया आ जाए, तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं।
• पूर्वकालिक क्रिया का शाव्दिक अर्थ है-पूर्व या पहले समय में हुई क्रिया ।
• पूर्वकालिक क्रिया को मूल धातु में कर अथवा करके लगाकर बनाई जाती है; जैसे-चोर सामान चुराकर भाग गया। छात्र ने पुस्तक से देखकर उत्तर दिया।
काल के अनुसार क्रिया के भेद
जिस काल में क्रिया होती है ,उस काल के नाम के आधार पर क्रिया का भी नाम रख देते हैं। अतः काल के अनुसार क्रिया तीन प्रकार की होती है:-
(i) भूतकालिक क्रिया
(ii) वर्तमान कालिक क्रिया
(iii) भविष्यत् कालिक क्रिया
भूतकालिक क्रिया:
वैसे क्रिया जिसके द्वारा बीते समय में (भूतकाल में) कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है। जैसे - रमा गयी। श्याम पुस्तक पढ़ रहा था।
वर्तमान कालिक क्रिया:
क्रिया का वह रूप, जिसके द्वारा वर्तमान समय में कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है। जैसे – राधा गाना गाती है। माँ खाना बना रही है।
भविष्यत् कालिक क्रिया:
क्रिया का वह रूप, जिसके द्वारा आने वाले समय में कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है। जैसे - दीपा कल जामनगर जायेगी। मेरा भाई पत्र लिखेगा।
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